श्रुतज्ञान महोत्सव

जीवन निर्वाह की शिक्षा तो बाहर से मिल जाती है। लेकिन इस मनुष्य जीवन को कैसे सफल बनाया जाए, अनेक भवों के संचित पापों को कैसे धोया जाए, किस प्रकार से आत्मा का विकास किया जाए, यह सारा ज्ञान तो स्कूलों में नहीं मिलेगा।

आज के इस भौतिक युग में संस्कारों की हानि होती जा रही है। व्यवहारिक पढ़ाई हेतु कई विद्यालय बन रहे हैं, उनकी संख्या प्रतिदिन बढ़ रही है। पर क्या सिर्फ व्यवहारिक ज्ञान से जीवन की सही अर्थ में उन्नति हाेगी? सुंदर व संस्कारी जीवन के लिए व्यवहारिक ज्ञान के साथ-साथ आध्यात्मिक ज्ञान भी अति आवश्यक है। और यह ज्ञान देने का कार्य मात्र गुरु भगवंत कर सकते है। लेकिन जहां और जिस समय गुरु भगवंत हाजिर ना हो, ऐसे समय में यह ज्ञान देने के लिए पाठशाला एक मात्र स्त्रोत हो सकते है।

व्यक्ति के विचारधारा को सक्षम बनाने में पाठशाला से मिल रहे ज्ञान का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहता है। बिना धार्मिक ज्ञान से संस्कार नहीं और बिना संस्कार से उन्नति और सद्गति नहीं। ज्ञान की प्याऊ समान पाठशाला ही हमारे जिनशासन को भविष्य में सुरक्षित रखेगी। इसके लिए तो जैन धर्म की पाठशालाओं में ही आना पड़ेगा। और आज के समय में इसका अत्यंत आवश्यकता है क्योंकि दुनिया में बहुत बड़े पैमाने पे युवाओं में स्ट्रेस, डिप्रेशन जैसी बीमारियां बढ़ती ही जा रही है। क्योंकि वे व्यवहारिक तौर की भाग दौड़ में इतना ज्यादा डूब गया है, उसी को जीवन का लक्ष्य मान लिया है, इसलिए सतत दुखी हो रहा हैं।

उन्हें हकीकत में मनुष्य जीवन का मूल्य पता ही नहीं है। यह जीवन क्या है, कैसे जीना है, किस दिशा में आगे बढ़ना है, इस आत्मा के क्या परम लक्ष्य है जो इस जीवन से प्राप्त करने है, वो बताना बहुत जरूरी है। जब वे लक्ष्य उसके ध्यान में आएंगे, तब जाकर वह जीवन में मिलने वाली छोटी-बड़ी असफलताएं उसे कभी डिप्रेशन या अन्य बीमारी का शिकार नहीं बनाएगा।

वह अपने मन को शांत रख पाएगा और जीवन में कैसी भी परिस्थिति आए, वह आनंद में रह पायेगा, कभी कोई उतार-चढ़ाव आए, तो भी उससे उभर कर बाहर आएगा, खुद भी विकास और आनंद प्राप्त करेगा और अनेक आत्माओं के लिए आनंद एवं शाता का कारण बनेगा।

इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सराक क्षेत्र के छोटे छोटे गावों में राजेंद्र सूरी जैन पाठशालाएं कार्यरत है।

पाठशाला की कुछ विशेषताएं (September 2023)

- 63 से ज्यादा गावों में पाठशाला कार्यरत है।
- करीबन 2500 से अधिक सराक भाई – बहन श्रुतज्ञान को प्राप्त कर रहे हैं।
- अत्यंत खुशी की बात है कि 200 से ज्यादा बच्चों ने दो प्रतिक्रमण तक के सूत्र कंठस्थ कर दिए हैं।

भविष्य की एक नई और उज्ज्वल जिनशासन की पीढ़ी का निर्माण सराक पाठशालाओं में हो रहा है।

सराक श्रुतज्ञान महोत्सव में आप कैसे जुड़ सकते है?

• इन छोटे-छोटे गावों में निर्माण हो रही पाठशालाओं के निर्माण-निभाव में विशेष दान द्वारा लाभ ले सकते है।
• यहां पाठशाला में पढ़ाने वालो के बहुमान का लाभ ले सकते है।
• पांच प्रतिक्रमण तक के सूत्र आते हो तो आप वहां जाकर या ऑनलाइन उन्हें पढ़ा सकते हो
• अपने परिवारजनों के जन्मदिन / सालगिराह के निमित्त सराक पाठशाला में लाभ लेकर श्रुत रक्षा एवं शासन रक्षा में योगदान देकर विपुल पुण्य कमा सकते है।