मात्र भारत ही नहीं, पूरे विश्व में चारों फिरके के सभी जैन, चाहे बूढ़े हो, माताएं बहनें हो, पुरुष हो या
बच्चे, साल भर में शायद अपनी व्यस्तता या अरुचि के कारण आराधना कम ज्यादा करते होंगे, लेकिन पर्युषण ऐसा सब
पर्व है जो सबके हृदय में एक अलग ही प्रकार का उल्लास ला देता है। और उन दिनों में हर जैन पूरे भावोल्लास के
साथ विशेष धर्म आराधना करते हैं।
राज परिवार का परम सौभाग्य है कि उन्हें ऐसे विरल आत्माओं के साथ पर्युषण करने में निमित बन पा रहे है। जिसमें
हम पूरे देश से आए हुए शासन समर्पित भाई-बहनो के साथ वहां प्रवचन, सुबह-शाम का प्रतिक्रमण, स्वप्न दर्शन, जन्म
वांचन, परमात्मा की रथ यात्रा, संध्या भक्ति आदि अनेक आराधनाएं करते एवं करवाते है।
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